🌊 नदित्मा: एक आधुनिक पुराण की उद्घोषणा
“नदित्मा” केवल एक नाम नहीं, यह एक चेतना है। यह उस वैदिक नदी सरस्वती का पर्यायवाची नाम है – जो अब गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रियोग से जल-जंगल-जमीन, जीव-जंतु और जनजीवन की साझा धारा बनकर समस्या नहीं समाधान की दिशा में बह रही है।
🕉️ सरस्वती से नदित्मा: एक वैचारिक पुनर्जन्म
ऋग्वेद में वर्णित “नदीतमाम्” – सरस्वती – अब नदित्मा के रूप में आधुनिक युग में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और नैतिक चिंतन का माध्यम बन रही है। यह केवल भूगर्भीय नदी नहीं, अब वैचारिक धारा है।
🌱 नदित्मा = जल + जंगल + जमीन + जीव + जन
- जल – जीवन का मूल स्रोत
- जंगल – पारिस्थितिकी संतुलन
- जमीन – जीवन की स्थिरता
- जीव – जैव विविधता
- जन – चेतन समाज, संस्कृति और राजनीति
🎯 लेखन का उद्देश्य
- भारत की प्राचीन चेतना से आधुनिक विषयों का समाधान प्रस्तुत करना
- पौराणिक शैली में संवादात्मक लेखन – शिव-पार्वती, भारत माता संवाद आदि
- राजनीति, अर्थनीति, धर्म, विज्ञान, पर्यावरण पर मातृ दृष्टि आधारित समाधान
- AI और संस्कृति का भारतीय दृष्टिकोण से समन्वय
👤 संस्थापक परिचय
अजय सिंह चौहान – संस्थापक, GBSBforyou, भोपाल (मध्यप्रदेश)
दृष्टिकोण: “भारत की मातृ-दृष्टि आधारित शासन, नीति और वैश्विक मार्गदर्शन का पुनर्निर्माण।”
✍️ लेखकीय सहयोग
- रामेश्वर ज. राठौड़, अकोला – बंजारा आदिवासी संस्कृति व संवाद लेखन में विशेष योगदान।
📖 प्रकाशन योजना
- प्रतिदिन एक पोस्ट: नदित्मा चिंतन
- PDF / EPUB / AI Illustrated eBook / Audiobook (YouTube & Spotify)
- प्रकाशक संस्था: GBSBforyou, भोपाल
- ईमेल: ajaychinty3@gmail.com
📜 नदित्मा सूत्र
"जब तक मनुष्य भूमि को मां और जल को जीवन न माने,
वह स्वयं से विमुख रहेगा।"
📌 टैग/श्रेणियाँ:
नदित्मा ब्लॉग, सरस्वती, मातृधर्म, AI नीति, सांस्कृतिक समाधान, आधुनिक पुराण
🙏 समापन
“नदित्मा” अब केवल नदी नहीं – यह भारत माता की चेतनाभारत की मातृ-परंपरा की वैश्विक पुनर्स्थापना है।
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