Translate

सोमवार, 14 जुलाई 2025

नदित्मा: एक आधुनिक पुराण की उद्घोषणा – उद्देश्य, संस्थापक और वैचारिक यात्रा"

🌊 नदित्मा: एक आधुनिक पुराण की उद्घोषणा

“नदित्मा” केवल एक नाम नहीं, यह एक चेतना है। यह उस वैदिक नदी सरस्वती का पर्यायवाची नाम है – जो अब गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रियोग से जल-जंगल-जमीन, जीव-जंतु और जनजीवन की साझा धारा बनकर समस्या नहीं समाधान की दिशा में बह रही है।

🕉️ सरस्वती से नदित्मा: एक वैचारिक पुनर्जन्म

ऋग्वेद में वर्णित “नदीतमाम्” – सरस्वती – अब नदित्मा के रूप में आधुनिक युग में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और नैतिक चिंतन का माध्यम बन रही है। यह केवल भूगर्भीय नदी नहीं, अब वैचारिक धारा है।

🌱 नदित्मा = जल + जंगल + जमीन + जीव + जन

  • जल – जीवन का मूल स्रोत
  • जंगल – पारिस्थितिकी संतुलन
  • जमीन – जीवन की स्थिरता
  • जीव – जैव विविधता
  • जन – चेतन समाज, संस्कृति और राजनीति

🎯 लेखन का उद्देश्य

  • भारत की प्राचीन चेतना से आधुनिक विषयों का समाधान प्रस्तुत करना
  • पौराणिक शैली में संवादात्मक लेखन – शिव-पार्वती, भारत माता संवाद आदि
  • राजनीति, अर्थनीति, धर्म, विज्ञान, पर्यावरण पर मातृ दृष्टि आधारित समाधान
  • AI और संस्कृति का भारतीय दृष्टिकोण से समन्वय

👤 संस्थापक परिचय

अजय सिंह चौहान – संस्थापक, GBSBforyou, भोपाल (मध्यप्रदेश)

दृष्टिकोण: “भारत की मातृ-दृष्टि आधारित शासन, नीति और वैश्विक मार्गदर्शन का पुनर्निर्माण।”

✍️ लेखकीय सहयोग

  • रामेश्वर ज. राठौड़, अकोला – बंजारा आदिवासी संस्कृति व संवाद लेखन में विशेष योगदान।

📖 प्रकाशन योजना

  • प्रतिदिन एक पोस्ट: नदित्मा चिंतन
  • PDF / EPUB / AI Illustrated eBook / Audiobook (YouTube & Spotify)
  • प्रकाशक संस्था: GBSBforyou, भोपाल
  • ईमेल: ajaychinty3@gmail.com

📜 नदित्मा सूत्र

"जब तक मनुष्य भूमि को मां और जल को जीवन न माने,
वह स्वयं से विमुख रहेगा।"

📌 टैग/श्रेणियाँ:

नदित्मा ब्लॉग, सरस्वती, मातृधर्म, AI नीति, सांस्कृतिक समाधान, आधुनिक पुराण


🙏 समापन

“नदित्मा” अब केवल नदी नहीं – यह भारत माता की चेतनाभारत की मातृ-परंपरा की वैश्विक पुनर्स्थापना है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नदित्मा संग नदित्मा संग संस्कृति, संवाद और डिजिटल समर्पण का संगम होम ब्लॉग हमारे बारे में ...