नदित्मा संग
संस्कृति, संवाद और डिजिटल समर्पण का संगम
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नदित्मा संग में आपका स्वागत है। यहाँ आप पाएँगे विचार, कला, तकनीक और अध्यात्म का समन्वय।
📅 14 जुलाई 2025
✍️ लेखकीय टीम: रामेश्वर राठौड़ | संस्थापक: अजय सिंह चौहान
"नदी से जुड़ना, केवल जल से नहीं – संस्कृति, स्मृति और सनातन जीवन से जुड़ना है।"
नदियों के किनारे जन्मे हमारे गाँव, बस्तियाँ और सभ्यताएँ – आज विकास के नाम पर अपने मूल स्रोत से दूर होती जा रही हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या हम नदी को केवल एक जलधारा मान कर भूल सकते हैं?
नहीं।
नदी हमारी माँ है – "नदित्मा", जो हमें न केवल जल देती है, बल्कि जीवन दृष्टि भी देती है।
"नदित्मा संग" एक लोक-सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन है जो नदियों को केवल संरक्षित करने के लिए नहीं, बल्कि उनके साथ चलने के लिए है। यह आंदोलन हमें हमारी परंपरा, स्थानीय ज्ञान और नदी-आधारित जीवनशैली से फिर से जोड़ता है।
✨ "नदी केवल पानी नहीं है, वह चलती हुई संस्कृति है।"
📷 आप चाहें तो अपने नदित्मा संग सेवा की फोटो हमें gbsbforyou.in@gmail.com पर भेज सकते हैं।
👉 नीचे दिए गए स्पेस में हमारा साथी विज्ञापन है। इससे प्राप्त आय सीधे 'नदित्मा संग' अभियान को समर्पित होगी।
रामेश्वर राठौड़ – सामाजिक कार्यकर्ता, नदित्मा संग आंदोलन के मार्गदर्शक।
अजय सिंह चौहान – GBSB संस्थापक, नदियों व आदिवासी संस्कृति के संरक्षक।
👉 अगली पोस्ट: "नदी और संस्कृति: पाषाण युग से पंचायत तक" (जल्द ही…)
एक आत्मा, संस्कृति और प्रकृति का संवाद
यह मंच प्रकृति, नदी, संस्कृति, और आध्यात्मिक पुनर्जागरण के लिए समर्पित है। हम यहाँ जल, जंगल, जन और जनसंस्कृति की कथा को साझा करते हैं – शोध, लेख, वीडियो और संवाद के माध्यम से।
हमारे ब्लॉग में पढ़ें नदियों से जुड़े किस्से, जलयात्राएं, वनगाथाएं, सांस्कृतिक यज्ञ, और लोगों के अनुभव जो जीवन और जल को जोड़ते हैं। हर लेख नदियों की आत्मा से संवाद की एक कोशिश है।
नदित्मा संग की शुरुआत अजय सिंह चौहान ने की – जो जलसंस्कृति के शोधकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और सनातन मूल्यों के संवाहक हैं। इनका उद्देश्य नदी व प्रकृति के साथ आत्मीय संबंध को फिर से जाग्रत करना है।
संपर्क करें:
📞 मोबाइल: 8839365969
📧 ईमेल: ajaychinty3@gmail.com
हमारे डिजिटल स्टोर में आपको मिलेंगे:
जल्द ही हमारे ई-स्टोर से डिजिटल प्रोडक्ट डाउनलोड और खरीद सकेंगे।
आप अपने अनुभव, नदी यात्राओं, पूजा पद्धतियों, या शोध के वीडियो हमारे प्लेटफॉर्म पर साझा कर सकते हैं। कृपया ईमेल द्वारा हमसे संपर्क करें।
नदित्मा संघ एक ऐसा वैचारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मंच है जो विमुक्त-घुमंतू समुदायों की अस्मिता, अधिकार और पहचान को उजागर करने के लिए समर्पित है। यह मंच उन आवाज़ों को मंच देता है जिन्हें इतिहास, समाज और शासन व्यवस्थाओं ने अक्सर अनदेखा किया है।
भारत की आज़ादी के बाद भी विमुक्त जातियाँ लगातार हाशिए पर रही हैं — चाहे वह शिक्षा, रोजगार या सांस्कृतिक प्रतिष्ठा की बात हो। नदित्मा संघ का उद्देश्य है इन समुदायों की ऐतिहासिक विरासत, संघर्ष और योगदान को पुनः सार्वजनिक विमर्श में लाना, ताकि न्याय और गरिमा की पुनर्स्थापना की जा सके।
आप इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं — अपने विचार, लेख, शोध या क्षेत्रीय अनुभव साझा कर। यह मंच आपके अनुभवों और आवाज़ों को समाज तक पहुँचाने का माध्यम है।
#नदित्मा_संघ | #विमुक्त_घुमंतू | #सामाजिक_न्याय
https://www.profitableratecpm.com/ycitr2uix6?key=f5de5303ac8bef881ed62b987eb2827bजल-जंगल-जमीन और जनजीवन की संस्कृति का संवाद
गंगा, यमुना और सरस्वती – त्रिवेणी की तरह, नदित्मा भी जल-जंगल-जमीन और जनजीवन की व्याख्या का माध्यम है। यह ब्लॉग केवल पर्यावरण नहीं, संस्कृति, धर्म, राजनीति, अर्थनीति और समाधानों का समग्र मंच है।
यहाँ हम जल संकट, आदिवासी जीवन, जनसंख्या, पलायन, और शासन की कार्यप्रणाली जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
“नदित्मा” केवल एक नाम नहीं, यह एक चेतना है। यह उस वैदिक नदी सरस्वती का पर्यायवाची नाम है – जो अब गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रियोग से जल-जंगल-जमीन, जीव-जंतु और जनजीवन की साझा धारा बनकर समस्या नहीं समाधान की दिशा में बह रही है।
ऋग्वेद में वर्णित “नदीतमाम्” – सरस्वती – अब नदित्मा के रूप में आधुनिक युग में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और नैतिक चिंतन का माध्यम बन रही है। यह केवल भूगर्भीय नदी नहीं, अब वैचारिक धारा है।
अजय सिंह चौहान – संस्थापक, GBSBforyou, भोपाल (मध्यप्रदेश)
दृष्टिकोण: “भारत की मातृ-दृष्टि आधारित शासन, नीति और वैश्विक मार्गदर्शन का पुनर्निर्माण।”
"जब तक मनुष्य भूमि को मां और जल को जीवन न माने,
वह स्वयं से विमुख रहेगा।"
नदित्मा ब्लॉग, सरस्वती, मातृधर्म, AI नीति, सांस्कृतिक समाधान, आधुनिक पुराण
“नदित्मा” अब केवल नदी नहीं – यह भारत माता की चेतनाभारत की मातृ-परंपरा की वैश्विक पुनर्स्थापना है।
नदित्मा ब्लॉग का परिचय
"नदित्मा" केवल एक ब्लॉग नहीं — यह एक वैचारिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चिंतन यात्रा है।
यहाँ से आरंभ हो रहा है एक आधुनिक पुराण, जो भारत की मातृ दृष्टि से
आज के युग की सबसे जटिल समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करेगा।
यह अभियान समर्पित है उन विचारों को —
जो जीवन, भूमि, जल, समाज, राजनीति और विज्ञान को एक मातृ-एकता में देखते हैं।
🧿 संस्थापक परिचय
अजय सिंह चौहान,
संस्थापक – [GBSBFORYOU, भोपाल, मध्यप्रदेश]
(Website: https://gbsb.in)
वे एक नवोन्मेषी सामाजिक चिंतक, राष्ट्रीय दृष्टिकोण से सक्रिय लेखक, और AI-संस्कृति आंदोलन के सूत्रधार हैं।
उनका लक्ष्य है:
> "भारत की सनातन परंपरा और वैज्ञानिक चेतना को एक मंच पर लाकर
भारत सहित समस्त विश्व के लिए मातृमूलक मार्ग प्रस्तुत करना।"
नदित्मा ब्लॉग उनकी ही परिकल्पना है, जिसमें पौराणिक शैली में आधुनिक जीवन के सभी विषयों को समझा जाएगा।
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✍️ लेखकीय टीम का उद्देश्य
इस ब्लॉग की लेखकीय टीम विविध विचारधाराओं से जुड़ी है —
पर सभी का उद्देश्य एक ही है:
✅ भारत की वैदिक चेतना को आधुनिक संदर्भ में प्रकट करना
✅ नीतिगत, वैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मार्गदर्शन देना
✅ वसुधैव कुटुंबकम के भाव को केवल आदर्श नहीं, व्यावहारिक मॉडल में बदलना
प्रमुख सहयोगी लेखक:
रामेश्वर ज. राठौड़, अकोला –
आदिवासी बंजारा समुदाय के चिंतक, सांस्कृतिक शोधकर्ता और संवादशैली के विशेषज्ञ
अन्य लेखकों की सूची आगे जोड़ी जाएगी (आपके निर्देश अनुसार)
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🎯 नदित्मा ब्लॉग लेखन का उद्देश्य
🔹 पौराणिक संवाद शैली में आधुनिक विषयों की व्याख्या करना
🔹 शिव–पार्वती, भूमि–नदी, विज्ञान–मानव आदि संवादों के माध्यम से विवेचन
🔹 राजनीति, धर्म, विज्ञान, पर्यावरण, समाज, शिक्षा आदि विषयों का समाधान प्रस्तुत करना
🔹 "नदित्मा – आधुनिक पुराण" नामक ग्रंथ की रचना करना
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📜 नदित्मा दर्शन का मूल सूत्र
> "मनुष्य सामाजिक प्राणी नहीं,
वह एक राजनीतिक चेतना है
–
जो तब तक अशांत रहेगा,
जब तक भूमि को मां और जल को जीवन न माने।"
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