Translate

सोमवार, 4 अगस्त 2025

🌿 नदी का संग: जीवन का नव-संस्कार | नदित्मा संग

📅 14 जुलाई 2025
✍️ लेखकीय टीम: रामेश्वर राठौड़ | संस्थापक: अजय सिंह चौहान


"नदी से जुड़ना, केवल जल से नहीं – संस्कृति, स्मृति और सनातन जीवन से जुड़ना है।"

नदियों के किनारे जन्मे हमारे गाँव, बस्तियाँ और सभ्यताएँ – आज विकास के नाम पर अपने मूल स्रोत से दूर होती जा रही हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या हम नदी को केवल एक जलधारा मान कर भूल सकते हैं?

नहीं।
नदी हमारी माँ है – "नदित्मा", जो हमें न केवल जल देती है, बल्कि जीवन दृष्टि भी देती है।

🌊 नदित्मा संग: क्या है यह अभियान?

"नदित्मा संग" एक लोक-सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन है जो नदियों को केवल संरक्षित करने के लिए नहीं, बल्कि उनके साथ चलने के लिए है। यह आंदोलन हमें हमारी परंपरा, स्थानीय ज्ञान और नदी-आधारित जीवनशैली से फिर से जोड़ता है।

📌 आज की मुख्य बातें:

  • स्थानीय नदियों की पहचान करें: आपके क्षेत्र की कोई छोटी धारा भी पूर्वजों की स्मृति हो सकती है। उसे खोजें।
  • नदी किनारे का सफ़ाई संस्कार: केवल "स्वच्छता" नहीं, इसे सेवा और संस्कार की तरह अपनाएं।
  • "नदित्मा गीत" गाएँ: लोकगीतों को खोजें, रिकॉर्ड करें और साझा करें।
  • बच्चों को जोड़ें: "नदी संग पाठशाला" अभियान प्रारंभ करें।
  • संवाद से आवाज उठाएँ: तथ्य, परंपरा और नीति से अपनी बात रखें।

✨ "नदी केवल पानी नहीं है, वह चलती हुई संस्कृति है।"

🙏 आज आप क्या कर सकते हैं?

  • अपने गाँव/शहर की एक नदी का नाम लें।
  • उसके बारे में 100 शब्दों में लिखें।
  • #नदित्मासंग हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।

📷 आप चाहें तो अपने नदित्मा संग सेवा की फोटो हमें gbsbforyou.in@gmail.com पर भेज सकते हैं।


🔗 ब्लॉग को सपोर्ट करें

👉 नीचे दिए गए स्पेस में हमारा साथी विज्ञापन है। इससे प्राप्त आय सीधे 'नदित्मा संग' अभियान को समर्पित होगी।


✍️ लेखक:

रामेश्वर राठौड़ – सामाजिक कार्यकर्ता, नदित्मा संग आंदोलन के मार्गदर्शक।
अजय सिंह चौहान – GBSB संस्थापक, नदियों व आदिवासी संस्कृति के संरक्षक।

👉 अगली पोस्ट: "नदी और संस्कृति: पाषाण युग से पंचायत तक" (जल्द ही…)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नदित्मा संग नदित्मा संग संस्कृति, संवाद और डिजिटल समर्पण का संगम होम ब्लॉग हमारे बारे में ...